1 |
शिव मन्दिर |
गंडई (टिकरी पारा) |
शिव मंदिर भूमिज में पूर्वाभिमुखी निर्मित है । यह मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से उच्चकोटि का है । इस मंदिर का निर्माण 13-14 वीं शताब्दी में किया गया था । |
74 किलोमीटर उत्तर दिशा में |
2 |
शिव मंदिर (नव उत्खनित) |
घटियारी |
स्थापत्य कला की दृष्टि से मात्र-अधिष्ठान तथा गर्भगृह शेष है । इस मंदिर का निर्माण 11-12 वीं शताब्दी में किया गया था । |
79 किलोमीटर |
3 |
नर्मदा कुंड |
नर्मदा |
यह प्राकृतिक जल स्त्रोत (जल कुंड) है । मराठा कालीन पंचायतन शैली का मंदिर है । |
62 किलोमीटर |
4 |
मण्दीप खोल |
ठाकुरटोला |
यहां प्राकृतिक गुफा एवं पानी का स्त्रोत है । |
85 किलोमीटर |
5 |
डोंगरेश्वर महादेव |
जंगलपुर |
धरातल से लगभग 100 फीट नीचे प्राकृतिक गुफा एवं चट्टानों से वर्ष भर पानी प्रवाहित होता रहता है । |
65 किलोमीटर |
6 |
इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय |
खैरागढ़ |
यह भारत का एक मात्र संगीत एवं ललित कला का विश्वविद्यालय है एवं पुरातत्व संग्रहालय भी स्थापित है । |
39 किलोमीटर |
7 |
जगन्नाथ मंदिर |
पांडादाह |
यह राजनांदगांव रियासत कालीन बैरागी राजाओं की राजधानी थी । यहां प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ मंदिर स्थापित है । |
47 किलोमीटर |
8 |
बम्लेश्वरी मंदिर |
डोंगरगढ़ |
पहाड़ी में स्थित बगुलामुखी (बम्लेश्वरी) मंदिर है । शारदीय एवं वासंतीय नवरात्री में भव्य मेला आयोजित किया जाता है । |
40 किलोमीटर |
9 |
रियासत कालीन महल |
राजनांदगांव |
यहां रियासत कालीन भव्य महल है जिसमें वर्तमान में शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय संचालित है । महल के पार्श्व भाग में त्रिवेणी संग्रहालय स्थापित है तथा महल सरोवर से आवृत है । |
0 किलोमीटर |
10 |
प्राकृतिक गुफा |
अम्बागढ़ चौकी |
यह स्थान अम्बागढ़ चौकी तहसील मुख्यालय से 13-14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहां प्राकृतिक गुफा एवं झीलुनमा तालाब है । |
40 किलोमीटर |
11 |
पुरातत्व संग्रहालय |
राजनांदगांव |
राजनांदगांव जिले में गठित पुरातत्व संघ की स्थापना 31/08/1977 में हुई, जिनका पंजीयन क्रमांक 44, दिनांक 07/08/1980 है । राज्य में गठित पुरातत्वीय संस्थाओं में एक वरिष्ठ संस्था है । आयुक्त, पुरातत्व एवं संग्रहालय तात्कालीन मध्य प्रदेश शासन द्वारा अनुमोदित, निर्देशित एवं अनुदान प्राप्त एक महत्वपूर्ण संगठन है । अधिक पढ़े |
0 किलोमीटर |
12 |
मुक्ति बोध परिसर |
राजनांदगांव |
जिले में पले बढे राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त साहित्यकार स्व. सर्व श्री गजानन माधव मुक्तिबोध, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी एवं बल्देव प्रसाद मिश्र के होने के पश्चात भी साहित्य के क्षेत्र में अभी तक यह क्षेत्र पूर्णतः उपेक्षित था । दिग्विजय महाविद्यालय के समीप स्थित प्रसिद्ध भूलन बाग को त्रिवेणी परिसर के रूप में विकसित किया गया, जिसकी वर्तमान में सौदर्य देखते ही बनती है । इतना रमणीक स्थान प्रदेश में तो क्या राज्य के गिनती के शहरों में होंगे, जहां दो-दो तालाब से घिरा हुआ भू-खंड पृष्ठ भाग ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दर्शाने वाला मुक्ति बोध परिसर स्थापित किया गया है । अधिक पढ़े |
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13 |
त्रिवेणी संग्रहालय |
राजनांदगांव |
त्रिवेणी संग्रहालय के उपरी मंजिल पर तीन खंड है । उसका उत्तरी खंड जहां मुक्तिबोध जी रहा करते थे । उनकी साहित्य साधना का स्थान और घुमावदार सीढ़ी जिसका उल्लेख उन्होंने अपनी रचनाओं में की है इसी उत्तरी खंड में है । अधिक पढ़े |
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